उत्तराखंड सांस्कृतिक संस्था इंदौर (रजि.), उत्तराखंड के लोग जो स्थाई या अस्थाई रूप में इंदौर एवं इंदौर के आस पास में निवास करते है उनकी संस्था है जो उत्तराखंड के इंदौर एवं इंदौर के आस पास में रह रहे लोगो को आपस में जोड़ने एवं समाज को सुसंगठित एवं निरंतर सामाजिक उत्थान में कार्यरत है
" उत्तराखंड है देवभूमि,
ऋषि- मुनियों की यह तपोभूमि,
कर्मठ कर्मवीरों की कर्मभूमि,
हिंद रक्षक जवानों की जन्मभूमि,
अभिमान हमें भी है इसका,
यह हमारी एवं अपने पूर्वजों की भी है जन्मभूमि
"
देवभूमि उत्तराखंड के कर्मठ, देशभक्त एवं अपनी मेहनत के बलबूते अपनी ज़मी तैयार करने वाले उत्तराखंड के भाई- बंधु कालांतर में अपनी रोजी-रोटी की तलाश हेतु अपने मातृ प्रदेश से निकलकर देश एवं विदेश के अलग- अलग शहरों एवं महानगरो में अपने को स्थापित करते हुए उन्हीं जगहों पर रहने लगे । ऐसे ही कुछ परिवारों ने देवभूमि उत्तराखंड से निकलकर माँ अहिल्या की इस पावन नगरी इंदौर तथा इसके आसपास के स्थानों को अपनी कर्मस्थली के रूप में चुना।
धीरे-धीरे जैसे -जैसे इनकी संख्या में कुछ बढ़ोत्तरी हुई तो समाज के कुछ दूरदर्शी महानुभावों ने यह महसूस किया कि अपने घरों से इतनी दूर रह रहे समाज के भाई- बंधु लोगों के बीच आपसी मेल- मिलाप तथा हमारी गढ़वाल तथा कुमाऊँ अंचल की महान संस्कृति के संवर्धन हेतु माँ अहिल्या की इस पावन नगरी में क्यूँ न एक उत्तराखंड सांस्कृतिक संस्था की स्थापना की जाये।
हमारे वटवृक्ष रूपी इन दूरदर्शी लोगों के कर्मफल के रूप में वर्ष 1992 में इंदौर शहर में उत्तराखंड सांस्कृतिक संस्था (पंजीकृत) की स्थापना हुई।
वर्तमान में संस्था अत्यंत सुचारू रूप से कार्य करते हुए प्रतिवर्ष तरक्की के पथ पर अग्रसर है।
संस्था के द्वारा प्रतिवर्ष कुछ सांस्कृतिक तथा कुछ सामाजिक कार्यक्रम करवाये जाते हैं, जिनकी बानगी आप लोगों को अग्रिम पन्नों पर देखने को मिलेगी।
जय देवभूमि, जय उत्तराखंड 🙏🏼
देश की सर्वश्रेष्ठ संस्था में से एक बनना जो समाज एवं मानव जाति के लिए मूल्यों को बढ़ा सके और प्रकृति और मातृभूमि के लिए भी योगदान दे सके
To become one of best and role model sanstha of the country who can enhance values to society, mankind and contribute to nature and mother land.